वास्तु पुरुष की उत्पत्ति भगवान शिव के पसीने से हुई है। वास्तुपुरुष में कुल 64 देवी देवताओं का वास होता है।
वास्तु पुरुष का सर उत्तर पूर्व की दिशा में होता है,और इसी वजह से कभी भी उत्तर पूर्व की दिशा में टॉयलेट या किचन ना बनवाएं ।
वास्तु पुरुष का पैर दक्षिण पश्चिम दिशा में होता है ,इसीलिए दक्षिण पश्चिम की दिशा में भारी सामान रखे इससे वास्तु पुरुष का पैर जमा रहता है इसीलिए दक्षिण पश्चिम की दिशा में ब्राउन कलर करवाना चाहिए ।
वास्तु पुरुष के बीच में नाभि होता है और उस स्थान को ब्रह्म स्थान माना जाता है । उस स्थान को हल कर रखना चाहिए ,वहां किसी भी प्रकार का भारी समान ना रखें
प्लोट या जमीन का आकार वर्गाकार या आयताकार होना चाहिए । प्लॉट की उत्तर पूर्व और दक्षिण पश्चिम की दिशा कटी हुई नहीं होनी चाहिए ,अगर ऐसा है तो इसे अशुभ माना जाता है और ऐसी मान्यता है कि वैसी जमीन पर वास्तु पुरुष का सर और पैर कटा हुआ होता है
वास्तुपुरुष के अनुसार उत्तर पूर्व की दिशा को थोड़ा नीचे रखें किसी दिशा में अंडरग्राउंड रूम बनाना चाहिए ।
भूमि पूजन उत्तर पूर्व की दिशा में ही करना चाहिए इससे वास्तु पुरुष प्रसन्न में रहते हैं ।
घर में उत्तर पूर्व की दिशा में थोड़ा स्थान छोड़कर ही समान रखना चाहिए क्योंकि उत्तर पूर्व की दिशा में वास्तु पुरुष का चेहरा होता है ।
घर में हरे-भरे पौधे लगाए ,कटेवा कांटेदार पौधे ना लगाएं ।हरे-भरे पौधों से वास्तुपुरुष खुश रहते हैं।
घर में आंवले तथा तुलसी का पौधा जरुर लगाएं इसे वास्तु पुरुष खुश रहते हैं ।
वास्तुपुरुष हमेशा तथास्तु तथास्तु बोलते रहते इसीलिए अपने मुख से कभी भी गलत बात नहीं बोलनी चाहिए ।