धतूरे का पौधा उन पौधों में से है जिसे उगाने में ज्यादा जल की आवश्यकता नहीं पड़ती है ।धतूरे का फूल, फल, और पत्तियां , यह तीनों बहुत से आयुर्वेदिक काम में आते हैं।
वैसे तो हम सभी जानते हैं कि धतूरे के फूल और फल का इस्तेमाल भगवान शिव को प्रसन्न करने के काम में आता है, इसीलिए धतूरे के फूल और फल को हर सोमवार महादेव के ऊपर चढ़ाने से महादेव प्रसन्न होकर आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
आचार्य चरक ने इसे कड़ा तथा आचार्य कुशुत ने इसे उन्नत नाम से प्रसिद्ध किया है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जिस घर में धतूरे का पेड़ होता है उस घर में हमेशा उन्नति बनी रहती है और कभी भी किसी काम में रुकावट नहीं आती है।
धतूरे के फूल तीन चार रंगों के फूल होते हैं सफेद, नीला, काला, पीला इत्यादि परंतु सफेद रंग के धतूरे के फूल को अत्यधिक शुभ माना गया है इसीलिए किसी भी शुभ कार्य में हमेशा धतूरे के सफेद रंग के फूल को इस्तेमाल में लाया जाता है।
यदि किसी को बार-बार मिर्गी के दौरे पड़ते हैं तो उसे धतूरे की जड़ को धोकर सुहाना चाहिए इससे मिर्गी के दौरे बंद हो जाएंगे तथा मिर्गी के दौरों से राहत मिलेगी।
यदि किसी व्यक्ति को सर्दी जुखाम है तो वह २-४ धतूरे के पत्तों को ले और तवा पर सुखा लें , और उसके उपरांत उसे बच्चे या बड़े किसी भी व्यक्ति को जिसे सर्दी है उसके पेट पर रखें दे ,इससे सर्दी खांसी से काफी आराम मिलता है।
धतूरे के पत्तों का काफी महत्व है इसीलिए यदि कोई व्यक्ति जो बवासीर के रोगों से काफी परेशान है वह धतूरे के पत्तों को तवा पर गरम कर के अपने बवासीर पर रखें, इससे बवासीर के रोग में काफी आराम मिलता है।
यदि कोई व्यक्ति गठिया के रोग से पीड़ित है तो वह हर रोज ३-४ धतूरे के पत्तों को ले उसे गर्म पानी में उबालकर सूजन या दर्द के स्थान पर उस गर्म पानी से सेके ऐसा करने से गठिया की बीमारी से जल्द ही राहत मिलेगी।
जैसा कि हम सभी जानते हैं धतूरे के फल और प्रत्यय जहरीली मानी जाती है इसीलिए इसे बच्चों की पहुंच से दूर ही रखे तो बेहतर है।